एपिसोड 57: भारत रत्न, भूपेन हजारिका, एन राम और अन्य


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Apr 14 2019 62 mins  
इस चर्चा की रिकॉर्डिंग के दौरान ही कश्मीर में अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले को अंजाम दिया जा रहा था. सीआरपीएफ के 40 जवानों की एक आत्मघाती हमले में मौत हो गई. हम इस विषय पर चर्चा नहीं कर सके लेकिन यह विषय ही इस पूरे हफ्ते चर्चा में रहेगा. एनएल चर्चा का केंद्रित विषय रहा मशहूर गायक भूपेन हजारिका को दिए गए भारत रत्न को उनके बेटे तेज हजारिका द्वारा वापस करना. तेज ने एक बयान में बताया कि इसकी वजह नागरिकता संशोधन बिल 2016 है. उन्होंने कहा कि यह बिल भूपेन हजारिका के विचार और मूल्यों के सर्वथा विपरीत है. जब तक सरकार इसे वापस नहीं ले लेती, वह अपने पिता के लिए यह सम्‍मान ग्रहण नहीं करेंगे. इसके अलावा द हिन्दू के संपादक एन राम की रफेल घोटाले संबंधी रिपोर्ट, युवा साहित्यकार अविनश मिश्र की कामसूत्र से प्रेरित नए कविता संग्रह के तमाम पहलुओं, पत्रकार अर्नब गोस्वामी पर गोपनीय दस्तावेज हासिल करने के अपराध में एफआईआर आदि पर इस बार की एनएल चर्चा केंद्रित रही.चर्चा में इस बार युवा कवि व साहित्यकार अविनाश मिश्र ने बतौर मेहमान शिरकत किया. साथ में पत्रकार और लेखक अनिल यादव और न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकर आनंद वर्धन भी चर्चा में शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.भूपेन हजारिका का भारत रत्न पर बातचीत करते हुए अतुल ने अविनाश से पूछा, "मैं आपसे जानना चाहूंगा क्या भारत रत्न जैसे बड़े सम्मान को इन सब बातों और राजनीति से अलग रखना चाहिए? तेज हजारिका ने भी थोड़ा सा बचपना दिखया है?”अविनाश जवाब देते हुए कहते है, "एक ऐसे समाज में जहां चीज़ें लगातार गड़बड़ हो रही हो तो एक नागरिक सोचता है की वो प्रतिरोध कैसे करे, उदाहरण के तौर पर जब अख़लाक़ वाला कांड हुआ था दादरी में तब हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार उदय प्रकाश का एक बयान आया था कि वो कैसे इसका प्रतिरोध करें. तो उनको ख्याल आया राज्य ने उनको सम्मानित किया है. तो उन्होंने राज्य द्वारा दिए गए सम्मान को लौटा दिया. मुझे लगता है एक सामान्य नागरिक होने के नाते कोई तरीका नहीं बचता आपके पास. एक सामान्य नागरिक जो खुद कुछ नहीं कर सकता जिसके बस में कुछ नहीं है तो मुझे लगता है उसके पास कोई तरीका है तो वो यही है कि सम्मान वापस लौटा देना. उदय प्रकाश जी ने यही किया. मैं मानता हूं भूपेन हजारिका जी के बेटे शायद इस बात को ज़्यादा समझते हैं.”चर्चा को आगे बढ़ाते हुए आनंद वर्धन कहते हैं, "मेरा इस पर कोई स्पष्ट मत नहीं है लेकिन ऐसा भी कुछ समाचार पत्रों ने लिखा है कि तेज हजारिका आपने पिता के साथ ज़्यादा रहे भी नहीं थे. तो अब जो व्यक्ति है ही नहीं उसका किस विषय पर क्या धारणा होगी ये तो अब अटकल का विषय है. कोई भी राजनैतिक विचारधारा हो, वो भारत रत्न के हक़दार थे. एक बड़ी सांस्कृतिक शख्सियत होने के कारण मेरे ख्याल में भारत रत्न स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. वहां के जो लोग नागरिकता संशोधन बिल का विरोध या समर्थन कर रहे हैं उनमें हज़ारिका के पुत्र उसके विरोध में हैं ये तो निश्चित हो ही गया है. अब इसका निष्कर्ष क्या होगा ये निर्णय तो उनके परिवार को करना है. हालांकि परिवार में भी इस पर एकमत नहीं है.”इस पर अनिल यादव आपने नजरिए को परिभाषित करते हुए कहते हैं, "इस प्रश्न को इस नज़रिए से भी देखा जा सकता है की क्या भारत रत्न जैसा पुरस्कार किसी राजनीति के तहत नहीं दिया जाता है. अगर वो राजनीति के तहत नहीं दिया जाता तो ये मांग क्यों लगातार होती रहती है कि फला की उपेक्षा हो रही है, उनको मिलना चाहिए था. इसके पीछे हमेशा राजनीति रही है अगर राजनैतिक कारणों से पुरस्कार दिया जा सकता है तो उससे वापस भी किया जा सकता है. अब ये जो नागरिकता संशोधन का मसला है ये नार्थ ईस्ट में, तो मैं कह सकता हूं कि ये वहा के लोगों के जीवन के लिए बहुत केन्द्रीय मसला है. नार्थ ईस्ट ही वो जगह है जहा पिछले एक साल के भीतर देशद्रोह के सबसे ज़्यादा मामले लोगो पर दर्ज किए गए हैं. और ये वो लोग है जो नागरिकता संशोधन बिल का विरोध कर रहे थे."राफेल डील पर एन राम की रिपोर्ट और अर्नब गोस्वामी पर एफआईआर के आदेश पर भी पैनल के बीच चर्चा हुई. आनंद वर्धन और अविनाश मिश्र ने इस चर्चा में अपने अनुभव साझा किए. अन्य विषयों पर पैनल की विस्तृत राय जानने के लिए पूरी चर्चा सुने.

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