इस सप्ताह की चर्चा के केंद्र में पी चिदंबरम की आईएनएक्स मीडिया के मामलेमें हुई गिरफ्तारी है, जिसने देश की राजनीति में काफी बवाल पैदा किया है.साथ ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर के जो हालातसामने आ रहे है, पाकिस्तान का जो रवैया अब तक रहा है वह भी बहस काविषय रहा. साथ ही पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अरुण जेटली केनिधन के बाद भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति में एक अहम बदलाव देखनेको मिल सकता है. इसके अलावा अमेज़ॉन के जंगलों में लगी भयानक आगपैनल के बीच एक औऱ चिंता के तौर पर शामिल हुआ. भारत सरकार की नईडिजिटल मीडिया नीति, बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा भीमा कोरेगांव मामले के एकआरोपी वर्नोन गोंजाल्विस की जमानत पर सुनवाई के दौरान ‘वॉर एन्ड पीस’उपन्यास पर की गई आदि विषय इस हफ्ते सुर्खियों में रहे.इस हफ्ते के पॉडकास्ट में उपरोक्त सभी मसलों पर चर्चा करने के लिए दोख़ास मेहमान मौजूद रहे. न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया केसंचालन ने चर्चा का संचालन किया जबकि न्यूज़लॉन्ड्री के मेघनाद और भारतीयजनसंचार संस्थान के महानिदेशक रह चुके प्रोफेसर केजी सुरेश बतौर मेहमानमौजूद रहे.अतुल ने चर्चा की शुरुआत करते हुए मेघनाद से आईएनएक्स मामले के बारे मेंविस्तार में जानकारी चाही. मेघनाद कहते हैं, "2007 में आईएनएक्स मीडियाकरके एक कंपनी थी जिनके मालिक इन्द्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी थे.उनको विदेशी फंडिंग चाहिए थी. वो उस समय विदेश मंत्रालय के पासएफआईपीबी क्लीयरेंस के लिए गए. उन्होंने वादा किया कि उनका एक शेयरदस रुपये कीमत का होगा और इसमें तीन विदेशी इन्वेस्टर्स से पैसा आएगा.तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उन्हें मंज़ूरी दे दी पर उन्होंने एक शर्त रखीकि वो आईएनएक्स न्यूज़ प्राइवेट लिमिटेड के लिए इन्वेस्ट नहीं कर सकते हैं.पर हुआ ये कि उन्होंने मंज़ूरी मिलने के बाद आईएनएक्स ने अपने शेयर्स कादाम 86 गुना बढ़ा दिया यानि 860 रुपए कर दिया और 305 करोड़ रुपये काइन्वेस्टमेंट कंपनी में मॉरिशस के जरिए हुआ. साथ ही उन्होंने डाउनस्ट्रीमइन्वेस्टमेंट यानि न्यूज़ प्राइवेट लिमिटेड में भी कर दिया जो क्लीयरेंस केखिलाफ था. यहां कथित तौर पर दो गड़बड़ी सामने आती है, एक तो निवेश कीसीमा से ज्यादा पैसा लिया गया और दूसरा उसे न्यूज़ वेंचर में डाला गया.इसके बाद एफआईपीबी ने और इनकम टैक्स ने उनके खिलाफ चांज शुरू की.उन्हें लगा कि अब वो फंस गए है तो उन्होंने चेस मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेडकंपनी को हायर किया ताकि वो उनकी तरफ से वित्त मंत्रालय से उनके लिएबात करें. इस कंपनी के फाउंडर पी चिंदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम हैं. इसीमामले में ईडी और सीबीआई को लगता है कि कार्ति चिदंबरम को पैसा मिला हैऔर ये मामला फिर पी चिदंबरम से भी जुड़ता है.”इस पर अतुल कहते हैं, "इसमें एक बात सामने आई कि सीबीआई की मूलएफआईआर में पी चिदंबरम का नाम तक नहीं है, तो इस लिहाज़ से जो कहाजा रहा है कि ये एक राजनीतिक कार्रवाई है. कहीं न कहीं ये नहीं लगता है किसरकार ने जल्दबाज़ी की है?”इस पर केजी सुरेश कहते है, ‘‘मुझे लगता है. इसके कई पहलू हैं. एक पहलू है किइस देश में जब कभी भी जो गाज गिरती है तो वो छोटे लोगों पर गिरती हैं.छोटे कर्मचारियों पर गिरती हैं. बड़े लोग अक्सर बचकर निकल जाते हैं.चिदंबरम की गिरफ्तारी ने या इससे पहले जो लालू प्रसाद यादव के साथ हुआहै या चौटाला के साथ हुआ, सुखराम के साथ हुआ तो एक मैसेज ये जाता है किआप कितने ताकतवर क्यों न हो कानून आपको बख्शेगा नहीं. पर जिस तरीकेसे चिदंबरम के घर पर घटनाक्रम हुआ, सीबीआई के लोग उनके घर में दीवारफांद कर घुसे, उससे अच्छा संदेश नहीं गया.”इसी प्रकार बाकी विषयों पर भी दिलचस्प औऱ गंभीर चर्चा हुई. पूरी चर्चा सुननेके लिए ‘एनएल चर्चा’ का यह ख़ास पॉडकास्ट सुनें.
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