एनएल चर्चा 104: जामिया पुलिस लाठी चार्ज का वीडियो, ट्रंप की भारत यात्रा और अन्य


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Feb 21 2020 55 mins  
न्यूज़लॉन्ड्री चर्चा के इस भाग में हमने डोनाल्ड ट्रंप का भारत दौरे, जामिया मेंहुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा किए गए बर्बर लाठीचार्ज, ट्रंप के दौरे कोलेकर अहमदाबाद में हो रही तैयारियां पर विस्तार से चर्चा की. इसके साथ हीआम आदमी के पार्टी के विधायक द्वारा अपने विधानसभा क्षेत्र में प्रत्येकमंगलवार को सुंदरकांड पाठ के आयोजन, नरेंद्र मोदी द्वारा सीएए, एनआरसीऔर 370 पर दिया गया ताजा बयान और सुप्रीम कोर्ट का शाहीनबाग मामले मेंनियुक्त की गई दो सदस्यों की कमेटी के मसले पर भी चर्चा हुई.इस सप्ताह चर्चा में दिल्ली यूनिवर्सिटी के एकेडमिक काउंसिल की सदस्य गीताभट्ट, न्यूज़लॉन्ड्री के सीनियर एडिटर मेहराज लोन शामिल हुए. चर्चा कासंचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.चर्चा की शुरुआत जामिया हिंसा से करते हुए अतुल ने गीता से सवाल किया,पुलिस ने जिस तरह से जामिया हिंसा को लेकर दावा किया था और साउथईस्ट दिल्ली के डीसीपी चिन्मय बिस्वाल, जिनका बाद में चुनाव आयोग नेट्रांसफर भी कर दिया था, उनका कहना था कि कैंपस में कोई टीयर गैस नहींछोड़ी गई, पुलिस कैंपस में नहीं घुसी, लाठीचार्ज भी नहीं हुआ. इन सब के बादजो वीडियो सामने आया है ये कई सवाल खड़े करते हैं. आपकी इस पर क्याराय है?अतुल के सवाल का जवाब देते हुए गीता कहती हैं, देखिये पहली बात तो ये हैकि जब भी कोई प्रदर्शन निकलता है अगर वो कहीं भी किसी तरह से हिंसकहोता है, वहां पत्थरबाजी और मारपीट होती है या बस जलाई जाती हैं तो हिंसाकी रिपॉन्स पुलिस द्वारा ऐसा ही रहता है. ये बात तो साफ है कि उपद्रवीकैंपस के अंदर घुस गए थे और भीतर से भी पत्थरबाजी हुई थी. वीडियो भीदोनों तरह के सामने आए हैं. लेकिन जो लोग अंदर मुंह पर कपड़ा बांध कर पढ़रहे, ऐसे तो कोई नहीं पढ़ता है.इसपर अतुल गीता को जवाब देते हैं, इसका एक और वर्जन है कि बाहर टीयरगैस छोड़ी जा रही थी तो हो सकता है छात्र इसलिए कपड़े बांध रखे हो? इसकेबाद अतुल ने मेहराज से सवाल किया, वीडियो आने के बाद पुलिस की रवैयादेखने के बाद आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?मेहराज कहते हैं, पुलिस ने जो जामिया में किया है वहीं चीजें जेएनयू औरअलीगढ़ में भी हुई हैं. चलिए मान लेते हैं कि जामिया में बाहर के लोग घुसेहुए थे. लेकिन पुलिस का प्रोसीजर पहले जांच करने का, लोगों को पहचानने काहोता है. एक तरफ छात्र हैं दूसरे तरफ स्टेट की ताकत है और उनके हाथ मेंबंदूकें हैं, ऐसे में फिर दोनों में फर्क क्या रहा और हर जगह पर ऐसे ही क्यों होरहा है? इस देश में जवाबदेही की रवायत कभी भी नहीं रही है. आम आदमी केपास कोई भी शक्ति नहीं है.बाकी विषयों पर भी विस्तार से तथ्यपरक चर्चा हुई. पूरी चर्चा सुनने के लिएपॉडकास्ट सुने साथ ही न्यूजलॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और गर्व से कहें- मेरेखर्च पर आज़ाद हैं खबरें.

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