हमें मानव रूप में जन्म देकर भगवान कृष्ण ने हम पर कृपा की है। हम उनका ही सूक्ष्म अंश हैं। हमारा लक्ष्य उनकी प्रेमाभक्ति प्राप्त करना है। इसके लिए हमें अपनी समस्त इंद्रियों को श्री हरि की सेवा में लगाना चाहिए। कृष्ण कृपा से ही यह भजन लिखा गया। लेखिका- राज्यश्री जोशी ( कृष्ण दासी)