इस घटना के बाद बामाखेपा की अलौकिकता के बारे में लोगों को पता लगा। धीरे-धीरे लोगों की भीड़ बामाखेपा की तारा पीठ में बढ़ने लगी। कोई बीमार आता तो बामाखेपा उस पर हाथ फेर देते तो वह स्वस्थ हो जाता। निसंतानों को संतान की प्राप्ति हो जाती। सभी आगंतुकों की इच्छा और मनोकामना तारापीठ में पूरी होने लगी।
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