न्यूज़लॉन्ड्री चर्चा के 105वें संस्करण में चर्चा का मुख्य बिंदु नॉर्थ-ईस्ट दिल्लीमें भड़की साम्प्रदायिक हिंसा रही. हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस का बर्ताव,दिल्ली पुलिस द्वारा सीसीटीवी कैमरा तोड़ा जाना, हिंसा वाले जगहों पर शूट एटसाइट आर्डर, दंगाइयों को खुलेआम छूट आदि चर्चा का विषय रहा. साथ-साथकेजरीवाल की दिल्ली में सेना तैनात करने की मांग, कपिल मिश्रा का भड़काऊबयान, दिल्ली हाईकोर्ट के जज मुरलीधर का रातो-रात तबादला आदि पर भीचर्चा हुई. इस सप्ताह चर्चा में दिल्ली पुलिस की भूमिका के मद्देनजर मेहमान के तौरपर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने हिस्सा लिया. इसके अलावान्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद भी शामिल हुए. चर्चा का संचालनन्यूजलॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.चर्चा की शुरुआत नार्थ ईस्ट दिल्ली में भड़के दंगे से करते हुए अतुल ने विक्रमसिंह से सवाल किया, जिस समय दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्पका दौरा चल रहा था. उनके मद्देनजर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था भी की गई थी,पूरे शहर की सुरक्षा व्यवस्था हाई एलर्ट पर थी, इसके बावजूद इतनी संगठितहिंसा हुई जिसमें 30 से ज्यादा लोग मारे गए. ये सुरक्षा महकमे के ऊपर बहुतबड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है?इसका जवाब देते हुए विक्रम सिंह ने कहा, दिल्ली पुलिस देश की सबसेबेहतरीन पुलिस है. आप इस ट्रेंड को पीछे से देखिए. 2 नवंबर को तीस हजारीकोर्ट में पुलिस को संरक्षण नहीं मिला, इससे ज्यादा दुखदाई और कष्टपूर्ण क्याहो सकता है. इस मामले के बाद उनका मनोबल गिरा और मनोबल सभीवर्दीधारी की आत्मा होती है.अतुल ने फिर विक्रम सिंह से सवाल किया, कई ऐसे वीडियो दिखे जिसमेंपुलिस खुद हिंसा कर रही है. बदमाश उसके बगल में है और कह रहे हैं पुलिसहमारे साथ है. पिछले 4 महीनों में हमने देखा पुलिस पब्लिक प्रॉपर्टी को भीतोड़ रही है ताकि उसकी उसकी गतिविधियां कैमरे में कैद न हो. आपको नहींलगता इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों पर एफआईआर भी होनी चाहिए?”अतुल के ही सवाल में मेघनाद ने अपना एक सवाल जोड़ा और विक्रम सिंह सेपूछा, एक वीडियो ऐसा भी आया है जिसमें पुलिस गाड़ियों को तोड़ रही है. येतो प्राइवेट प्रॉपर्टी है. इस पर आप क्या कहेंगे?दोनों लोगों के सवालों का जवाब देते हुए अतुल कहते हैं, सामान्यतः सब ठीकरहता है. एक-दो पुलिसकर्मी भी गड़बड़ निकलते हैं तो संयम और मर्यादा टूटजाती है. पुलिस स्थिति को नियंत्रण करने के पहले कई तरह के एहतियातीउपाय करती है. इलाके के बदमाश कौन हैं? आसपास अस्पताल कहां है? ये सबपता रहता है. पुलिस का दंगा नियंत्रण न करने के बजाय खुद दंगाई बन जानाचिंताजनक है.चर्चा में पुलिसिंग के तौर तरीकों, उसकी कार्यप्रणाली, राजनीतिक दबाव आदि केऊपर विस्तार से बात हुई. पूरी बातचीत के लिए हमारा पॉडकास्ट सुनें औरन्यूजलॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और गर्व से कहें- मेरे खर्च पर आजाद हैं खबरें.
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